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Showing posts from 2017

Uttarakhandi food: bhang ki chatni

भांग की चटनी उत्तराखंड अपनी खूबसूरत वादियों के साथ अपने साधारण और स्वादिष्ट पकवानों के लिए भी जाना जाता है। उन्हीं पकवानों में से एक हैं भाग की चटनी। गर्मा गर्म पकोड़े और मंडुवे की रोटी के साथ आप इसका स्वाद ले सकते हैं। इसे बनाने की विधि कुछ इस प्रकार है। सामग्री भांग के दाने                          100 ग्राम सारसों के दाने                       2 छोटे चम्मच लस्सन की फांक (क्यारी)       3 से 5 सुखी लाल मिर्च                     3 से 4 नमक                                    स्वादानुसार निम्बू                                     आधा बनाने की विधि एक कढ़ाई या तवे में भांग और सरसों के दानों को थोड़ा भूरा होने तक हल्कि आंच...

Beautiful journey of uttarakhand / chopta /tungnath / chandrashila

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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता तुंगनाथ धार्मिक स्थल होने के साथ ही आस पास फैली सुंदरता के लिए भी प्रचलित है। भगवान के दर्शन करने के साथ ट्रेकिंग करने वाले लोगो के लिए यह बेहतरीन जगह है। दिल्ली से ऋषिकेश होते हुए रुद्रप्रयाग ओर फिर ऊखीमठ के रास्ते से चोपता के लिए एक रोड जाती है। उखीमठ से 40 किलोमीटर की दूरी पर चोपता स्थित है। हरी-भरी मुलायम घास से ढका चोपता एक बेहद ही सुंदर और खूबसूरत हिल स्टेशन है। यहाँ चारों ओर फैली सुंदरता और शांति एक गहरे सुकून का अहसास कराती है। मिनी स्विजरलैंड बुग्याल (मुलायम और हरी-भरी घास से ढके पहाड़) के कारण इसे गढ़वाल का मिनी स्विट्ज़रलैंड भी कहा गया जाता है। गर्मियों में हरी घास से ढके यह पहाड सर्दियों में बर्फ़ की सफ़ेद चादर से ढक जाते हैं, जिसकी खूबसूरती को देख आपकी आंखें मानो तृप्त हो गई हो। नीचे हरी पहाड़ियां और ऊपर की और हिमालय की सफेद चोटी, आपको एक भूले-बिसरे सुकून का एहसास कराती हैं। तुंगनाथ चोपता से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तुंगनाथ का मंदिर, जिसे पंच केदार में से एक केदार है। तुंगनाथ की खड़ी चढ़ाई थका जरूर सकती है लेकिन आसपा...

Theater artist and former director of bhartendu natya academy surya mohan kulshrestha

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थियेटर में टिक नहीं रहे हैं अच्छे अभिनेता: सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ प्र सिद्ध थियेटर निर्देशक, संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित और भारतेंदू नाट्य अकादमी के पूर्व निदेशक सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने एनएसडी प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए नाटक 'वासांसि जीर्णानि' का निर्देशन किया, जिसका मंचन हाल ही में एनएसडी में हुआ। यह एक पुराना मराठी नाटक है लेकिन बहुत कम बार मंच पर खेला गया है। यह बेहद मुश्किल नाटक है, स्क्रिप्ट को पढऩे के बाद समझ नहीं आता की इसे कैसे मंच पर प्रस्तुत किया जाये। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है और यहां देश भर से छात्र चुन कर आते हैं। इसलिए मुझे लगा कि इन छात्रों के साथ कुछ चुनौतीपूर्ण करना ज्यादा अच्छा रहेगा। जो छात्रों के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो। इसमें अभिनय कैसा हो? कैसे एक अदृश्य व्यक्ति उन लोगों के बीच बातचीत कर रहा है? अन्य लोग उसे सुन नहीं पा रहे हैं लेकिन फिर भी वह अपना आधार बनाये हुए है। इस नाटक में यह सब चुनौतियां थी इसलिए मुझे लगा कि यही नाटक है जो मुझे एनएसडी के छात्रों के साथ करना चाहिए। चुनौतीपूर्ण स्क्रिप्ट करना है पसंद ह...

Free school under the bridge student

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बच्चों के जीवन में भरते उम्मीदों के रंग  'फ्री स्कूल अंडर दी ब्रिज' छात्रों के जीवन में रंगों के रुप में उम्मीद की एक नई किरण आयी है। मैट्रो के ब्रिज के नीचे लगने वाला यह स्कूल यमुना बैंक मैट्रो स्टेशन के पास जहां आस पास की झुग्गियों में रहने वाले मजदूरों केे बच्चे पढऩे के लिए आते है। लेकिन अब यहां पढऩे वाले बच्चों को पढऩे के लिए स्कूल जैसा माहौल पैदा करने की कोशिश की गई है। मैट्रो की सफेद दीवार पर अब नीले रंग में रंग चुकी है। जिसपर ब्लैक बोर्ड के आसपास लाल, हरा, संतरी जैसे कई रंगों से फूल, बच्चे, पेड़, सीढी के चित्रों के साथ क.ख.ग.घ जैसे कई अक्षर रंगे गए है। जो बच्चों में पढ़ाई को लेकर एक अलग उत्साह पैदा कर रहा है। दिल्ली स्ट्रीट आर्ट की ओर से इस स्कूल को एक नया रुप दिया गया है। वहीं एक निजी कंपनी की ओर से बच्चों को संतरी कलर की टी-शर्ट भी दी गई है, जिसपर स्कूल का नाम लिखा है। किताबी ज्ञान से परे है स्कूल  स्कूल में पढऩे वाली अमृता कहती है कि यह पढऩे में काफी मजा आता है। यहां सर सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देते बल्कि हर चीज के बारे में अच्छी तरह से समझाते हैं। अमृता क...

Jashn-e-rekhta urdu festival

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उर्दू को दिवानों से सजा 'जश्न-ए-रेख्ता' गुफ्तगू रेख्ते में हम से न कर, यह हमारी जबान है प्यारे... गालिब, मीर और फैज अहमद फैज को याद करते हुए प्रसिद्ध गीतकार और कवि गुलजार ने इस नज्म को पढ़ा। जश्न-ए-रेख्ता कार्यक्रम में गुलजार और जावेद सिद्दकी ने हम सूरतगार कुछ ख्वाबों के विषय पर चर्चा करते हुए मीर, गालिब और फैज अहमद फैज की नज्मों और उनके लफ्जों पर गुफ्तगू की। मीर पर बोलते हुए जावेद ने कहा कि मीर की जबान इतनी आसान थी कि वह आज की जबान लगती है। पर उनकी आवाज में इतनी सादगी थी कि वो उनके बाद के शायरों में देखने को नहीं मिलती। गालिब ने अपने काम को किसी ओर को तराशने के लिए दिए जाने की बात पर गुलजार ने कहा कि यह बहुत जरुरी है कि आप अपने काम को खुद तराशें। युवा शायरों में अपने काम को खुद तराशने की हिम्मत होनी चाहिए। गुलजार फैज पर कहा कि उनकी शायरी समाज से जुड़ी होती थी और मुझे भी लगता है कि आप एक समाज का हिस्सा हैं और उसका दर्द आपकी शायरी में नजर आना चाहिए। क्योकि आप अपने दौर का इतिहास हैं। आपकों जवाब देही है उस आइने से जिसके सामने आप खड़े होते हैं। जावेद ने कहा कि हम वहीं लफ्ज...

I can only express my love in urdu- gulzar

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यह सिर्फ उर्दू जबान ही का ताल्लुक है कि दो मुसाफिर अगर बैठे हों, सफर कर रहे हों, तो किसी की जुबान से उर्दू का एक शेर का सुनकर वाकई निस्बत पैदा हो जाती है और अगर यह किसी लड़की से सुन लिया जाए, तो उसका पीछा कर शादी करने का मन करता है। उर्दू सुनाने और सिखाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। यहां बहुत लोग बैठे हैं जो उर्दू पर बोल सकते हैं और बता सकते हैं। लेकिन, मैं उर्दू में सिर्फ अपने इश्क का इजहार कर सकता हूं। उर्दू के लिए अपने प्रेम का इजहार प्रसिद्ध गीतकार और कवि गुलजार ने कुछ इस तरह किया। मौका था जश्न-ए-रेख्ता-2017 का। गुलजार ने कहा कि मीर खुसरो के बाद रेख्ता के लिए अगर किसी का शुक्रिया अदा करना हो तो मैं संजीव सराफ का करूंगा। उर्दू बदल रही है, लेकिन फिक्र इस बात की है कि उर्दू की स्क्रिप्ट कहीं न कहीं सिमटती और खोती जा रही है जिसे सम्भालना जरुरी है। उर्दू का जश्न मनाते इस उत्सव का उद्घाटन शुक्रवार को गुलजार और पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान ने की। उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि मैं एक बेजूबान दूनियां का आदमी हूं। मेरा साज सरोद में कोई अवाज नहीं है सिर्फ एक दिल की धड़कन है, और सु...

nawazuddin siddiqui at national school of drama

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- फ्रस्टेशन को कभी डिप्रेशन में नहीं बदलने देना चाहिए बॉलिवुड  में आगे बढऩे के लिए मुझे किसी भी व्यक्ति से कभी मोटिवेशन नहीं मिली। बड़ा बेशर्म किस्म का आदमी हूं मैं आगे बढ़ ही गया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के महोत्सव भारंगम में इन्टर्फेस सैशन के दौरान बॉलिवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दकी ने थिएटर से बॉलिवुड के सफर के बारे में यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि मेरे संघर्ष के इतने लम्बे सफर में मुझे प्रेरणा देने वाला कोई नहीं था, यह मेरी बेशर्मी ही थी जिसने मुझे आज इस मुकाम पर पहुंचाया है। इस दौरान एनएसडी के निदेशक वामन केंद्रे, प्रोफेसर त्रिपुरारी शर्मा के साथ कई लोगों ने नवाज से बॉलिवुड में उनकी सफलता को लेकर कई सवाल पूछे। इस पर नवाज ने कहा कि सफलता के लम्बे समय के दौरान कई मुश्किले आती हैं लेकिन अपने फ्रस्ट्रेशन को कभी डिप्रेशन में नहीं बदलना चाहिए। मेरा संघर्ष तो सिर्फ 12 साल का था। लेकिन, मैने खुद को 25 साल दिए थे और मैं तब तक संघर्ष करने के लिए तैयार था। नवाज ने कहा कि मुझे स्क्रिप्ट पर अधारित फिल्मों से अधिक किरदार पर अधारित फिल्में करना पसंद है। लोगों के सामने बैठे नवाज ने कहा कि इस ...