nawazuddin siddiqui at national school of drama
- फ्रस्टेशन को कभी डिप्रेशन में नहीं बदलने देना चाहिए
बॉलिवुड में आगे बढऩे के लिए मुझे किसी भी व्यक्ति से कभी मोटिवेशन नहीं मिली। बड़ा बेशर्म किस्म का आदमी हूं मैं आगे बढ़ ही गया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के महोत्सव भारंगम में इन्टर्फेस सैशन के दौरान बॉलिवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दकी ने थिएटर से बॉलिवुड के सफर के बारे में यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि मेरे संघर्ष के इतने लम्बे सफर में मुझे प्रेरणा देने वाला कोई नहीं था, यह मेरी बेशर्मी ही थी जिसने मुझे आज इस मुकाम पर पहुंचाया है। इस दौरान एनएसडी के निदेशक वामन केंद्रे, प्रोफेसर त्रिपुरारी शर्मा के साथ कई लोगों ने नवाज से बॉलिवुड में उनकी सफलता को लेकर कई सवाल पूछे। इस पर नवाज ने कहा कि सफलता के लम्बे समय के दौरान कई मुश्किले आती हैं लेकिन अपने फ्रस्ट्रेशन को कभी डिप्रेशन में नहीं बदलना चाहिए। मेरा संघर्ष तो सिर्फ 12 साल का था। लेकिन, मैने खुद को 25 साल दिए थे और मैं तब तक संघर्ष करने के लिए तैयार था। नवाज ने कहा कि मुझे स्क्रिप्ट पर अधारित फिल्मों से अधिक किरदार पर अधारित फिल्में करना पसंद है। लोगों के सामने बैठे नवाज ने कहा कि इस समय मेरे हाथ पैर कांप रहे हैं। आज बेशक मैं कई फिल्में कर चुका हूं लेकिन आज भी मुझे लोगों को फेस करना नहीं आता। जब एनएसडी में था तब लगता था कि यहां से जल्दी निकलकर बॉलिवुड में जाऊं। लेकिन, अब फिर से मंच पर नाटक करने और अपने पुराने गुरुओं से कुछ नया सीखने का मन करता है। कान फिल्म फेस्टिवल का एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब पहली बार मेरी फिल्में फेस्टिवल में गई तो मैं सूट सिलवाने के लिए दर्जी के पास गया तो उसने सूट बनाने के लिए मना कर दिया। फिर मैने जैसे तैसे कहीं से एक सूट सिलवाया। लेकिन जब दूसरी बार मेरी फिल्में फेस्टिवल में गई तो काफी सारे दर्जी मेरे पास पहुंचे कि मैं आपका सूट बनाऊंगा। लेकिन मैने उसी सूट को दोबारा पहनने का तय किया।
बॉलिवुड में आगे बढऩे के लिए मुझे किसी भी व्यक्ति से कभी मोटिवेशन नहीं मिली। बड़ा बेशर्म किस्म का आदमी हूं मैं आगे बढ़ ही गया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के महोत्सव भारंगम में इन्टर्फेस सैशन के दौरान बॉलिवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दकी ने थिएटर से बॉलिवुड के सफर के बारे में यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि मेरे संघर्ष के इतने लम्बे सफर में मुझे प्रेरणा देने वाला कोई नहीं था, यह मेरी बेशर्मी ही थी जिसने मुझे आज इस मुकाम पर पहुंचाया है। इस दौरान एनएसडी के निदेशक वामन केंद्रे, प्रोफेसर त्रिपुरारी शर्मा के साथ कई लोगों ने नवाज से बॉलिवुड में उनकी सफलता को लेकर कई सवाल पूछे। इस पर नवाज ने कहा कि सफलता के लम्बे समय के दौरान कई मुश्किले आती हैं लेकिन अपने फ्रस्ट्रेशन को कभी डिप्रेशन में नहीं बदलना चाहिए। मेरा संघर्ष तो सिर्फ 12 साल का था। लेकिन, मैने खुद को 25 साल दिए थे और मैं तब तक संघर्ष करने के लिए तैयार था। नवाज ने कहा कि मुझे स्क्रिप्ट पर अधारित फिल्मों से अधिक किरदार पर अधारित फिल्में करना पसंद है। लोगों के सामने बैठे नवाज ने कहा कि इस समय मेरे हाथ पैर कांप रहे हैं। आज बेशक मैं कई फिल्में कर चुका हूं लेकिन आज भी मुझे लोगों को फेस करना नहीं आता। जब एनएसडी में था तब लगता था कि यहां से जल्दी निकलकर बॉलिवुड में जाऊं। लेकिन, अब फिर से मंच पर नाटक करने और अपने पुराने गुरुओं से कुछ नया सीखने का मन करता है। कान फिल्म फेस्टिवल का एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब पहली बार मेरी फिल्में फेस्टिवल में गई तो मैं सूट सिलवाने के लिए दर्जी के पास गया तो उसने सूट बनाने के लिए मना कर दिया। फिर मैने जैसे तैसे कहीं से एक सूट सिलवाया। लेकिन जब दूसरी बार मेरी फिल्में फेस्टिवल में गई तो काफी सारे दर्जी मेरे पास पहुंचे कि मैं आपका सूट बनाऊंगा। लेकिन मैने उसी सूट को दोबारा पहनने का तय किया।
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