I can only express my love in urdu- gulzar
यह सिर्फ उर्दू जबान ही का ताल्लुक है कि दो मुसाफिर अगर बैठे हों, सफर कर रहे हों, तो किसी की जुबान से उर्दू का एक शेर का सुनकर वाकई निस्बत पैदा हो जाती है और अगर यह किसी लड़की से सुन लिया जाए, तो उसका पीछा कर शादी करने का मन करता है।
उर्दू सुनाने और सिखाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। यहां बहुत लोग बैठे हैं जो उर्दू पर बोल सकते हैं और बता सकते हैं। लेकिन, मैं उर्दू में सिर्फ अपने इश्क का इजहार कर सकता हूं। उर्दू के लिए अपने प्रेम का इजहार प्रसिद्ध गीतकार और कवि गुलजार ने कुछ इस तरह किया। मौका था जश्न-ए-रेख्ता-2017 का। गुलजार ने कहा कि मीर खुसरो के बाद रेख्ता के लिए अगर किसी का शुक्रिया अदा करना हो तो मैं संजीव सराफ का करूंगा। उर्दू बदल रही है, लेकिन फिक्र इस बात की है कि उर्दू की स्क्रिप्ट कहीं न कहीं सिमटती और खोती जा रही है जिसे सम्भालना जरुरी है। उर्दू का जश्न मनाते इस उत्सव का उद्घाटन शुक्रवार को गुलजार और पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान ने की। उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि मैं एक बेजूबान दूनियां का आदमी हूं। मेरा साज सरोद में कोई अवाज नहीं है सिर्फ एक दिल की धड़कन है, और सुरों का एक रिश्ता है दुनियां के साथ। तहजीब, तमीज, अदब, लिहाज यहीं एक बहुत बड़ा गहना है हमारे देश का। इस दौरान जश्ने-ए-रेख्ता के बाजी संजीव सराफ ने कहा कि उर्दू सिर्फ जुबान नहीं, पूरी तहजीब है एक अंदाज एक सलीका है और हम यहां तहजीब की शमा के परवानो की शक्ल में मौजूद हैं। इस दौरान उर्दू सीखने के लिए गमोकिश नाम का एप भी लॉन्च किया गया। जश्न की शुरुआत सरोद वादक अमान अली बंगश और अयान अली बंगश की पेशकश के साथ हुई। बंगश ब्रदर ने अपनी प्रस्तुति कवि रबिंद्रनाथ टैगोर को समर्पित की। कोन खेला और एकला चोलो रे गीतों पर बंगाल के लोक संगीत को संजोया। बंगश ब्रदर ने सरोद से सुरों का जादू बिखेर दर्शकों को खोने पर मजबूर कर दिया। तीन दिवसिय जश्न-ए-रेख्ता में उर्दू प्रेमियों को दास्तान-गोई, नाटक, कव्वाली, गजल गायकी, फिल्म स्क्रीनिंग, साहित्यिक चर्चाओं, मुशायरा, बैतबाजी (उर्दू कविता प्रतियोगिता), कैलिग्राफी, वर्कशॉप, वाद-विवाद प्रतियोगिता, प्रदर्शनी, उर्दू बाजार, उर्दू गद्य और काव्य पाठ आदि के माध्यम से इस जबान की खूबसूरती को एक बार फिर नजदीक से देखने और सुनने का मौका मिलेगा।
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