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Showing posts from February, 2017

Jashn-e-rekhta urdu festival

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उर्दू को दिवानों से सजा 'जश्न-ए-रेख्ता' गुफ्तगू रेख्ते में हम से न कर, यह हमारी जबान है प्यारे... गालिब, मीर और फैज अहमद फैज को याद करते हुए प्रसिद्ध गीतकार और कवि गुलजार ने इस नज्म को पढ़ा। जश्न-ए-रेख्ता कार्यक्रम में गुलजार और जावेद सिद्दकी ने हम सूरतगार कुछ ख्वाबों के विषय पर चर्चा करते हुए मीर, गालिब और फैज अहमद फैज की नज्मों और उनके लफ्जों पर गुफ्तगू की। मीर पर बोलते हुए जावेद ने कहा कि मीर की जबान इतनी आसान थी कि वह आज की जबान लगती है। पर उनकी आवाज में इतनी सादगी थी कि वो उनके बाद के शायरों में देखने को नहीं मिलती। गालिब ने अपने काम को किसी ओर को तराशने के लिए दिए जाने की बात पर गुलजार ने कहा कि यह बहुत जरुरी है कि आप अपने काम को खुद तराशें। युवा शायरों में अपने काम को खुद तराशने की हिम्मत होनी चाहिए। गुलजार फैज पर कहा कि उनकी शायरी समाज से जुड़ी होती थी और मुझे भी लगता है कि आप एक समाज का हिस्सा हैं और उसका दर्द आपकी शायरी में नजर आना चाहिए। क्योकि आप अपने दौर का इतिहास हैं। आपकों जवाब देही है उस आइने से जिसके सामने आप खड़े होते हैं। जावेद ने कहा कि हम वहीं लफ्ज...

I can only express my love in urdu- gulzar

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यह सिर्फ उर्दू जबान ही का ताल्लुक है कि दो मुसाफिर अगर बैठे हों, सफर कर रहे हों, तो किसी की जुबान से उर्दू का एक शेर का सुनकर वाकई निस्बत पैदा हो जाती है और अगर यह किसी लड़की से सुन लिया जाए, तो उसका पीछा कर शादी करने का मन करता है। उर्दू सुनाने और सिखाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। यहां बहुत लोग बैठे हैं जो उर्दू पर बोल सकते हैं और बता सकते हैं। लेकिन, मैं उर्दू में सिर्फ अपने इश्क का इजहार कर सकता हूं। उर्दू के लिए अपने प्रेम का इजहार प्रसिद्ध गीतकार और कवि गुलजार ने कुछ इस तरह किया। मौका था जश्न-ए-रेख्ता-2017 का। गुलजार ने कहा कि मीर खुसरो के बाद रेख्ता के लिए अगर किसी का शुक्रिया अदा करना हो तो मैं संजीव सराफ का करूंगा। उर्दू बदल रही है, लेकिन फिक्र इस बात की है कि उर्दू की स्क्रिप्ट कहीं न कहीं सिमटती और खोती जा रही है जिसे सम्भालना जरुरी है। उर्दू का जश्न मनाते इस उत्सव का उद्घाटन शुक्रवार को गुलजार और पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान ने की। उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि मैं एक बेजूबान दूनियां का आदमी हूं। मेरा साज सरोद में कोई अवाज नहीं है सिर्फ एक दिल की धड़कन है, और सु...

nawazuddin siddiqui at national school of drama

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- फ्रस्टेशन को कभी डिप्रेशन में नहीं बदलने देना चाहिए बॉलिवुड  में आगे बढऩे के लिए मुझे किसी भी व्यक्ति से कभी मोटिवेशन नहीं मिली। बड़ा बेशर्म किस्म का आदमी हूं मैं आगे बढ़ ही गया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के महोत्सव भारंगम में इन्टर्फेस सैशन के दौरान बॉलिवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दकी ने थिएटर से बॉलिवुड के सफर के बारे में यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि मेरे संघर्ष के इतने लम्बे सफर में मुझे प्रेरणा देने वाला कोई नहीं था, यह मेरी बेशर्मी ही थी जिसने मुझे आज इस मुकाम पर पहुंचाया है। इस दौरान एनएसडी के निदेशक वामन केंद्रे, प्रोफेसर त्रिपुरारी शर्मा के साथ कई लोगों ने नवाज से बॉलिवुड में उनकी सफलता को लेकर कई सवाल पूछे। इस पर नवाज ने कहा कि सफलता के लम्बे समय के दौरान कई मुश्किले आती हैं लेकिन अपने फ्रस्ट्रेशन को कभी डिप्रेशन में नहीं बदलना चाहिए। मेरा संघर्ष तो सिर्फ 12 साल का था। लेकिन, मैने खुद को 25 साल दिए थे और मैं तब तक संघर्ष करने के लिए तैयार था। नवाज ने कहा कि मुझे स्क्रिप्ट पर अधारित फिल्मों से अधिक किरदार पर अधारित फिल्में करना पसंद है। लोगों के सामने बैठे नवाज ने कहा कि इस ...